December 23, 2024

हमारी उम्मीद ही हमारे दुःख का कारण होती है

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दीपशिखा मदान

यूं तो उम्मीद का रिश्ता हर उस प्राणी में विद्यमान होता है जिसे ईश्वर ने अक्ल और विवेक से नवाज़ा है, इस संसार में हर किसी प्राणी को अपने स्नेहियों से किसी न किसी रूप में उम्मीद होती हैI वो चाहे माता पिता से संतान का हो या भाई बहन , दोस्त ,पति पत्नी हों, यहां तक कि हमारे पालतू जानवरों को हमसे या हमारी उनसे, हम सब उम्मीदों के बंधन में बंधे होते हैंI लेकिन कभी सोचा है कि यही उम्मीदें हमारे दुःख तकलीफों का कारण भी हो सकती हैंI

सही मायनो में देखा जाए तो हमारी उम्मीदें ही हमें तकलीफ देती हैं, वो उम्मीद जो हम अपनो से करते हैं ये बड़ा सवाल है, जो उम्मीद हम अपने बच्चों से करते हैं वो कितनी सही हैं, ये सिलसिला तब से शुरू होता है जब से आपके बच्चे स्कूल जाने लगते है। हमे लगता है की, कैसे भी हो हमारा बच्चा सबसे अव्वल आए, उसका नाम हो। जो की मुझे लगता है कि गलत है, अगर हम उस पल से ही उम्मीद लगाना छोड़ दे, तो बुढ़ापे में हमे तकलीफ कम होगी, आज की पीढ़ी की सोच के हिसाब से उन्हे बताया जाना चाहिए , की ये तो हमारा फर्ज है। बदले में कोई उम्मीद न रखें।

और सिर्फ माता पिता या बच्चों से ही नहीं यदि हम किसी से भी किसी भी प्रकार की उम्मीद करते हैं, और किसी कारणवश वो पूरी नहीं हो पायी तो वही उम्मीद हमारे लिए जीवनभर दुःख और तकलीफों का सबब बन जाती हैI इसलिए उम्मीद से अधिक हमें अपने फ़र्ज़ को समझना चाहिए , और उसी पर केन्द्रित होना चाहिएI

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