टीचरों के लिए लागू हो अनिवार्य त्रैवार्षिक स्थानांतरण की व्यवस्था, पलायन निवारण आयोग ने रिपोर्ट में की मांग

उत्तराखंड में शिक्षकों के लिए अनिवार्य त्रैवार्षिक स्थानांतरण की व्यवस्था लागू करने की मांग उठी है। पलायन निवारण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है। आयोग ने कहा है कि इससे पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी दूर करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने और उन्हें हार्डशिप अलाउंस या विशेष भत्ता देने की भी सिफारिश की गई है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में राजकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखना होगा। दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों को हार्डशिप अलाउंस या विशेष भत्ता दिया जाए। साथ में शिक्षकों की स्थानांतरण प्रक्रिया को समयबद्ध बनाने और अनिवार्य त्रैवार्षिक स्थानांतरण व्यवस्था लागू करने पर विशेष बल दिया गया है।

ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग ने राजकीय विद्यालयों से छात्रों के पलायन के गंभीर संकट के समाधान के लिए ये महत्वपूर्ण संस्तुतियां की हैं। ड्राप आउट होने वाले बच्चों का अभिलेखीकरण करने की आवश्यकता व्यक्त की गई है।पलायन निवारण आयोग ने कुल 204 पृष्ठ की अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में सरकारी शिक्षा की दयनीय हालत को विस्तार से सामने रखा है। ‘दैनिक जागरण’ ने गत मंगलवार को ‘सरकारी विद्यालयों में दम तोड़ रही भविष्य संवारने की आस’ शीर्षक से प्रकाशित खबर में आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

रिपोर्ट में यह माना गया कि प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या में कमी आने का मुख्य कारण शिक्षकों की समुचित तैनाती नहीं होना है। साथ ही तैनाती को लेकर असंतुलित रवैया अपनाने और विभाग के स्तर पर इस संबंध में प्राथमिकता में असंतुलन को भी सामने रखा गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में ई-लर्निंग और आनलाइन शिक्षा को मिले बढ़ावा

आयोग ने शिक्षा में सुधार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों और छात्रों को ई-लर्निंग, आनलाइन शिक्षा, डिजिटल उपकरण एवं इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध कराने की संस्तुति की है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर विद्यालय परिसर और प्रत्येक कक्षा में आनलाइन संयंत्रों की स्थापना को विभाग के स्तर पर कार्ययोजना बनाने पर बल दिया गया है। डिजिटल साक्षरता के लिए कंप्यूटर प्रयोगशालाओं की स्थापना का सुझाव दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी के विस्तार और सरलीकरण की आवश्यकता व्यक्त की गई।

अधिक छात्रसंख्या वाले विद्यालयों का कराएं भ्रमण

आयोग का कहना है कि गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए पढ़ने और पढ़ाने के तरीके में सुधार होना चाहिए। शिक्षकों के अनुभव, शिक्षण के तरीके, प्रबंधन प्रणाली कम छात्रसंख्या वाले विद्यालयों में बेहतर तरीके से लागू की जाए। शिक्षा के प्रति बच्चों में रुचि पैदा हो और उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के प्रयास होने आवश्यक हैं।

अधिक छात्रसंख्या वाले विद्यालयों में कम छात्रसंख्या वाले विद्यालयों के शिक्षकों, छात्रों व अभिभावकों को भ्रमण कराया जाए। इसके अतिरिक्त शैक्षिक भ्रमण को प्रभावी बनाने के लिए फीडबैक प्रणाली लागू की जाए। उद्यानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों व स्वरोजगार से संबंधित गतिविधियों में छात्र-छात्राओं का भ्रमण कराएं, ताकि उनके व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि हो। स्थानीय बोली-भाषा में पढ़ाई को प्रमुखता देने की संस्तुति की गई है।

शिक्षकों को सम्मिलित कर बने स्थानांतरण नीति

आयोग ने शिक्षकों की विद्यालयों में तैनाती सुनिश्चित करने के लिए पृथक स्थानांतरण नीति को आवश्यक बताया है। साथ ही अनिवार्य त्रैवार्षिक स्थानांतरण की व्यवस्था से सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई है। समयबद्ध स्थानांतरण की संस्तुति में कहा गया कि सभी शिक्षकों को उनकी योग्यता, अनुभव और आवश्यकता के आधार पर समय पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए।साथ में शिक्षकों को प्रोत्साहन, समर्थन और उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को इसमें ध्यान में रखा जाए। विशेष योगदान देने वाले शिक्षक को विशेष छूट दी जा सकती है। शिक्षकों को सम्मिलित कर विशेष स्थानांतरण नीति तैयार की जाए,ताकि उनकी चिंताओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जा सके। इस संबंध में एक प्रभावी निवारण तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया गया, जहां शिक्षक अपनी समस्याएं निर्भय होकर रख सकें।

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