उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विवादित बयान के बाद इस्तीफा देने पर कांग्रेस इसे अपनी जीत बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि यह प्रदेशवासियों और उनके स्वाभिमान की जीत है। प्रेमचंद अग्रवाल चार बार के विधायक हैं और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष का पद भी संभाला है। वह प्रदेश की राजनीति का अहम हिस्सा माने जाते रहे हैं।
देहरादून। विधानसभा सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की विवादित टिप्पणी के बाद उन पर लगातार हमलावर रही विपक्ष कांग्रेस उनके इस्तीफे को अपनी जीत के रूप में देख रही है। कांग्रेस ने अग्रवाल के इस्तीफे को उनके प्रायश्चित के रूप में उठाया गया कदम और उत्तराखंड की जीत बताया है।
विधानसभा सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन के भीतर एक विवादित टिप्पणी कर दी थी। यद्यपि, पहले ही दिन उन्होंने इसे लेकर माफी मांग ली थी लेकिन दूसरे दिन सदन के भीतर यह मामला तूल पकड़ गया।
कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने इस पर सदन के भीतर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद से ही कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। इसे लेकर प्रदेश भर में विरोध शुरू हो गया। कांग्रेस ने भी इसे राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए जगह-जगह कैबिनेट मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
यद्यपि कांग्रेस का विरोध सड़क से अधिक इंटरनेट मीडिया पर ही रहा। वह लगातार इस विषय पर मंत्री अग्रवाल के इस्तीफे की मांग करती रही। अब कैबिनेट मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं तो कांग्रेस इसे अपनी जीत के रूप में देख रही है।कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि इस विषय पर सभी ने मिलकर लगाई लड़ी है। अब राज्यपाल को उनका इस्तीफा जल्द स्वीकार करना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि यह प्रदेशवासियों व उनके स्वाभिमान की जीत है।
चार बार के विधायक हैं प्रेमचंद अग्रवाल
कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल प्रदेश की राजनीति का एक अहम हिस्सा रहे हैं। वह विधानसभा अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं। कुल मिलाकर वह चार बार के विधायक रहे हैं। अभी वह ऋषिकेश विधानसभा सीट से विधायक हैं। प्रेम चंद अग्रवाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी।
वह शुरुआत में डोईवाला में एबीवीपी के अध्यक्ष रहे। 90 के दशक में वह भाजपा जिला प्रमुख भी रहे। वर्ष 2007 में पहली बार ऋषिकेश विधानसभा से भाजपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2012, 2017 और 2022 में भी ऋषिकेश विधानसभा सीट से विजयी रहे। वर्ष 2015 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का सम्मान मिला।
वर्ष 2017 में वह विधानसभा अध्यक्ष बने और पांच साल तक उन्होंने यह दायित्व बखूबी निभाया। वर्ष 2022 में वह कैबिनेट मंत्री बने और उन्हें विधायी एवं संसदीय कार्य, वित्त, शहरी विकास व आवास समेत कई महत्वपूर्ण पदभार सौंपे गए। तीन साल तक उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में सदन में बजट भी प्रस्तुत किया।