Big breaking :-राष्ट्रपति ने कुछ यूं मनाया अपना जन्मदिन…दृष्टिबाधित बच्चों ने गाया स्पेशल गीत तो छलक पड़े आंसू

राष्ट्रपति ने कुछ यूं मनाया अपना जन्मदिन…दृष्टिबाधित बच्चों ने गाया स्पेशल गीत तो छलक पड़े आंसू

राष्ट्रपति शुक्रवार को एनआईईपीवीडी पहुंचीं। यहां मॉडल स्कूल विज्ञान प्रयोगशाला और कंप्यूटर प्रयोगशाला के साथ-साथ एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया। इस दौरान कार्यक्रम में दृष्टिबाधित बच्चों ने गीत सुनाया तो राष्ट्रपति भावुक हो गईं।

देहरादून के राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने जन्मदिन पर दृष्टिबाधित बच्चों की सुरीली प्रस्तुति देखकर भावुक हो गईं। बच्चों ने जब गाया कि तुम जियो हजारों साल.. हैप्पी बर्थ डे टू यू तो यह सुनकर उनके आंसू छलक पड़े।

राष्ट्रपति शुक्रवार को एनआईईपीवीडी पहुंचीं। यहां मॉडल स्कूल विज्ञान प्रयोगशाला और कंप्यूटर प्रयोगशाला के साथ-साथ एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में दृष्टिबाधित बच्चों ने तारे जमीं पर गीत सुनाया तो राष्ट्रपति भावुक हो गईं। जैसे ही बच्चों ने राष्ट्रपति को जन्मदिन की बधाई देते हुए ..तुम जियो हजारों साल गीत की प्रस्तुति दी, तो वे खुद को रोक नहीं पाईं।

मंच पर ही उनके आंसू छलक पड़े। उन्हें भावुक देख पीछे खड़े सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रूमाल दिया। दिव्यांग बच्चों का कार्यक्रम देखकर न सिर्फ राष्ट्रपति, बल्कि मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री धामी, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) भी भावुक हो गए।

राष्ट्रपति ने इन दृष्टिबाधित बच्चों को चश्मा लगाकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, वह इन बच्चों की प्रतिभा से बेहद प्रभावित हैं। हम जिस तरह से दिव्यांगजनों के लिए काम कर रहे हैं, इसका जीता जागता उदाहरण देहरादून में देखने के लिए मिलता है।

मैं अपने जन्मदिन के मौके पर यहां पर आकर बेहद खुश हूं। जब मैं बच्चों को गाते हुए देख रही थी, तो मेरे आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। यह बच्चे गले से नहीं हृदय से गा रहे थे। मुझे लगता है कि सरस्वती उनके गले में बैठी हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एनआईपीवीडी में कार्यक्रम के दौरान कहा कि किसी देश या समाज की प्रगति का आकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि उस समाज में लोग दिव्यांगजनों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। भारत का इतिहास संवेदनशीलता और समावेशिता के प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है

हमारी संस्कृति और सभ्यता में मानवीय करुणा और प्रेम के भाव हमेशा से शामिल रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। उन्नत प्रौद्योगिकी की सहायता से दिव्यांगजन भी मुख्यधारा में अपना योगदान दे सकते हैं। कहा कि समाज को जीवन के हर क्षेत्र में दिव्यांगजनों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास करने चाहिए।

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